If feelings of deceit and manipulation remain in our psyche, then our mind can never be calm.
अगर छल-प्रपंच की भावना हमारे मानस में बनी रहेगी, तो हमारा चित्त कभी शांत नहीं हो सकता.
अगर छल-प्रपंच की भावना हमारे मानस में बनी रहेगी, तो हमारा चित्त कभी शांत नहीं हो सकता.